Add To collaction

हमसफ़र 15 पॉर्ट सीरीज पॉर्ट - 10




हमसफ़र  (भाग - 10)





शिक्षा विभाग से शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला,जिसमें वीणा का चयन हो गया। वीणा को अपने शहर के ही एक स्कूल में नौकरी मिल गई थी जहाँ वह घर से आना-जाना कर सकती थी। अब तक यूपीएससी का कोचिंग भी समाप्त हो गया था, इसलिए वीणा दिल्ली से वापस अपने घर आ गई थी  । कोचिंग में तैयार किए गए नोट्स थे उसके पास जिनका वह अध्ययन कर रही थी।




   वीणा अब और भी व्यस्त हो गई थी। वह प्रतिदिन प्रातः चार बजे उठकर ढाई-तीन घंटे पढ़ाई करती, फिर तैयार होकर स्कूल चली जाती। स्कूल में दिन भर बच्चों को पढ़ाने के बाद वह शाम को घर आती। घर में कुछ मां की भी सहायता करती और रात को फिर वह दो घंटे पढ़ाई करती। पढ़ाई के लिए उसके पास किताबें और कोचिंग में तैयार किए गए नोट्स थे जिनका वह उपयोग कर रही थी। इसके अतिरिक्त वह दैनिक अखबार और विभिन्न प्रतियोगी पत्रिकाओं की भी सहायता ले रही थी।




     एक दिन उसके स्कूल से आने के बाद माँ ने नाश्ता और चाय दिया फिर उसके पास बैठ गई और कहने लगी -  "बिटिया अब तो तुम्हारी नौकरी भी हो गई है,अब यदि तू शादी के लिए तैयार हो तो उन्हें संदेश भेजें और हम भी तैयारी करें। अब और कितने दिन वे लोग इंतजार करेंगे"।




वीणा  -  "क्या उन लोगों ने कुछ कहा था तुमसे"।




   मां  - "नहीं उन लोगों ने तो कुछ भी नहीं कहा,मैं ही कह रही हूं। रोका हुए दो वर्ष से अधिक हो गया, और तुम्हारी उम्र भी तो बढ़ती जा रही है इसलिए मुझे लगता है और प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए"।




   वीणा  -   "मां तुम इतनी परेशान क्यों हो रही हो, जब उन लोगों ने कुछ भी नहीं कहा! व्यर्थ तुम स्वयं भी परेशान होती हो और मुझे भी परेशान कर  रही हो"।




   मां  -   "सुमित के पापा ने क्या कहा था याद है न, या मैं याद दिलाऊँ! उन्होंने कहा था तुम्हारे ऊपर वे कभी दबाव नहीं डालेंगे शादी के लिए। जब तुम स्वयं कहोगी शादी के लिए तैयार हो, तभी शादी होगी। तो वे लोग कैसे बोल सकते हैं कुछ"।




   वीणा -  "यही तो मैं कह रही हूं माँ। जब उन्होंने कुछ नहीं कहा,उन्हें कोई परेशानी नहीं है तो तुम क्यों घबड़ा रही हो। थोड़ा सा मुझे और समय दे दो। मैं समझती हूँ तुम्हारी परेशानी। लेकिन सोचो पिछली बार मेरी तैयारी नहीं हुई थी ठीक से। मुख्य परीक्षा की तैयारी तो मैं  कर ही नहीं पाई थी। इसलिए मैं प्रारंभिक परीक्षा पास करके रह गई, मुख्य परीक्षा नहीं निकाल पाई। प्लीज मां मुझे इस बार सिर्फ समय दे दो। अभी तो मैंने पूरी तैयारी की है और अब भी तैयारी में लगी हूं। मैं तुमसे वादा करती हूं इस बार नहीं हुआ तो जब तुम कहोगी मैं शादी कर लूंगी। इस बार मुझे पूरी तरह तैयारी कर लेने दो"।




   इसके बाद माधुरी ने कुछ भी नहीं कहा और वीणा यूपीएससी की तैयारी में लगी रही।




  सुमित का स्कूल बन कर तैयार हो गया था। अब उसने शिक्षकों की नियुक्ति भी प्रारंभ कर दी थी। बच्चों के लिए भी अखबार, टीवी,और नेट पर भी विज्ञापन दे दिया था। उसका विद्यालय आवासीय भी था। स्कूल की व्यवस्था देखने से ही भव्य लगता था, इसलिए जो भी अभिभावक एक बार आते आवेदन-पत्र लेकर ही जाते। इस तरह उसका विद्यालय लगभग प्रारंभ हो चुका था। अजय उसी विद्यालय में प्राचार्य का पद संभाल चुका था और बहुत ही लगन से विद्यालय को बढ़ाने में लगा हुआ था। 




  कहानी जारी है अगले भाग में। यदि कोई कमी दिखाई दे उसके लिए सुझाव जरूर दें l आपके सुझाव का स्वागत है l        


   

                                  क्रमशः

   निर्मला कर्ण

   15
4 Comments

Harsh jain

04-Jun-2023 02:03 PM

Nice 👍🏼

Reply

Alka jain

04-Jun-2023 12:51 PM

V nice 💯

Reply

वानी

01-Jun-2023 06:59 AM

Nice

Reply